जून-अंत, 2019 : भारत का विदेशी ऋण



  • वर्तमान परिप्रेक्ष्य

  • 30 सितंबर, 2019 को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भारत के विदेशी ऋण/बाह्य ऋण (External Debt) के तिमाही आंकड़े जारी किए गए।

  • जारी किए गए तिमाही आंकड़ों के अनुसार जून-अंत, 2019 में भारत का विदेशी ऋण 557.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।

  • विदेशी ऋण के आंकड़ों का प्रकाशन

  • भारत में विदेशी ऋण के आंकड़े त्रैमासिक आधार पर प्रकाशित किए जाते हैं। मानक प्रथा के अनुसार, कैलेंडर वर्ष की प्रथम दो तिमाहियों (जनवरी-मार्च तथा अप्रैल-जून) के आंकड़े भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा, जबकि अंतिम दो तिमाहियों (जुलाई-सितंबर तथा अक्टूबर-दिसंबर) के आंकड़े वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं।

  • विदेशी ऋण की स्थिति

  • जून-अंत, 2019 में भारत के विदेशी ऋण की तुलना अगर मार्चांत, 2019 से की जाए, तो यह मार्चांत, 2019 की तुलना में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि प्रदर्शित कर रहा है, जिसका मुख्य कारण वाणिज्यिक उधार (Commercial Borrowing), लघुकालिक ऋण (Short Term Debts) तथा अनिवासी भारतीयों (NRIs) की जमाराशियों में वृद्धि है।

  • बाह्य ऋण की मात्रा में वृद्धि मुख्य रूप से भारतीय रुपया और प्रमुख मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर में मूल्य ह्रास के परिणामस्वरूप होने वाले मूल्य निर्धारण हानि के कारण हुई है।

  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की तुलना में बाह्य ऋण का अनुपात जून-अंत, 2019 में 19.8 प्रतिशत रहा, जो मार्चांत, 2019 के 19.7 प्रतिशत के स्तर के लगभग बराबर है।

  • अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • जून-अंत, 2019 में भारत का विदेशी ऋण 557.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो मार्चांत, 2019 की तुलना में 14.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2.6%) अधिक है।

  • भारतीय रुपया और प्रमुख मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर के मूल्य ह्रास के कारण मूल्य निर्धारण हानि में 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही।

  • अतः यदि मूल्य निर्धारण प्रभाव को छोड़ दिया जाए तो जून-अंत, 2019 में बाह्य ऋण में वृद्धि मार्चांत, 2019 की तुलना में 14.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर न होकर बल्कि 12.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही होगी।

  • वाणिज्यिक उधार विदेशी ऋण का सबसे बड़ा घटक रहा, जिसकी हिस्सेदारी 38.4 प्रतिशत है। इसके बाद अनिवासी भारतीयों (NRIs) की जमाएं 24 प्रतिशत तथा अल्पावधिक व्यापार क्रेडिट 18.7 प्रतिशत रहा।

  • जून-अंत, 2019 में दीर्घावधिक ऋण (एक वर्ष से ऊपर की मूल परिपक्वता के साथ) 447.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो मार्चांत, 2019 की तुलना में 12.8 बिलियन डॉलर अधिक है।

  • कुल विदेशी ऋण में दीर्घावधिक ऋण (मूल परिपक्वता) की हिस्सेदारी जून-अंत, 2019 में 80.32 प्रतिशत थी, जो मार्चांत, 2019 के स्तर 80 प्रतिशत से थोड़ा सा अधिक है।

  • विदेशी ऋण में लघुकालिक ऋण (एक वर्ष तक की मूल परिपक्वता के साथ) की हिस्सेदारी मार्चांत, 2019 के 20 प्रतिशत से घटकर जून-अंत 2019 में 19.68 प्रतिशत हो गई।

  • विदेशी मुद्रा भंडारों की तुलना में अल्पावधिक ऋण (मूल परिपक्वता) का अनुपात जून-अंत, 2019 में घटकर 25.5 प्रतिशत हो गया, जबकि मार्चांत, 2019 में यह 26.3 प्रतिशत था।

  • अवशिष्ट परिपक्वता के आधार पर अल्पावधिक ऋण की जून-अंत, 2019 में कुल विदेशी ऋण तथा विदेशी मुद्रा भंडार में हिस्सेदारी क्रमशः 43.2 प्रतिशत तथा 56.2 प्रतिशत रही, जबकि मार्चांत, 2019 में यह क्रमशः 43.3 प्रतिशत तथा 57 प्रतिशत रही।जून-अंत, 2019 में भारत के विदेशी ऋण में सर्वाधिक हिस्सेदारी अमेरिकी डॉलर (51.5%) की रही। उसके बाद क्रमशः भारतीय रुपया (34.7%), येन (5.1%), एस.डी.आर. (4.7%) तथा यूरो (3.2%) रहे।

  • कुल बाह्य ऋण में गैर-वित्तीय निगमों के बकाया ऋण का हिस्सा सबसे अधिक 41.6 प्रतिशत था।

  • तत्पश्चात जमा-स्वीकार करने वाले निगम (केंद्रीय बैंक को छोड़कर) 29.8 प्रतिशत, सरकार 19.2 प्रतिशत तथा अन्य वित्तीय निगम 6.2 प्रतिशत का हिस्सा है।

  • ऋण सेवा (ब्याज भुगतान सहित मूल राशि) मार्चांत, 2019 के 6.4 प्रतिशत की तुलना में जून-अंत 2019 में घटकर चालू प्राप्तियों के 5.8 प्रतिशत हो गई, जो वाणिज्यिक उधारों की कम अदायगी दर्शाती है।