- मई, 2019 में रजिस्ट्रार जनरल, भारत सरकार द्वारा नमूना पंजीकरण प्रणाली बुलेटिन (Sample Registration System Bulletin : SRS Bullitin), मई, 2019 जारी किया गया।
- बुलेटिन में जारी आंकड़े (Datas) (राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के लिए) वर्ष 2017 के संदर्भ में हैं।
- सर्वेक्षण में राज्यों को बड़े राज्य (Big States), छोटे राज्य (Small States) तथा केंद्रशासित प्रदेश में वर्गीकृत किया गया है। यहां बड़े राज्यों से तात्पर्य उन राज्यों से है, जिनकी जनसंख्या वर्ष 2011 की जनगणनानुसार 10 मिलियन से अधिक है।
- बुलेटिन में जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्यों में सबसे कम शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate : IMR) नगालैंड (7/1000) और गोवा (9/1000) रही, जबकि सर्वाधिक शिशु मृत्यु दर (IMR) मध्य प्रदेश (47/1000) में रही।
- नमूना पंजीकरण प्रणाली (Sample Registration System : SRS)
- नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS) राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर जन्म दर (Birth Rate), मृत्यु दर (Death Rate) तथा अन्य प्रजनन एवं शिशु मृत्यु दर (Fertility & Infant Mortality Rate) आदि संकेतकों (Indicators) के विश्वसनीय वार्षिक अनुमानों को उपलब्ध कराने हेतु बड़े पैमाने का जनसांख्यिकी सर्वेक्षण है।
- यह जनसांख्यिकी सर्वेक्षण प्रत्येक 10 वर्ष बाद नवीनतम जनगणना ढांचे के आधार पर बदल दिया जाता है।
- वर्तमान में एस.आर.एस. (SRS) नमूने में वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर देश के सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की 8850 नमूना इकाइयों (4961 ग्रामीण + 3889 शहरी) में परिचालित है, जिसमें 7.9 मिलियन जनसंख्या को शामिल किया गया है।
- जन्म दर (Birth Rate)-जन्म दर जननक्षमता (Fertility) का एक अशोधित (Crude) पैमाना है, जो जनसंख्या वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- विगत चार दशकों में देश में जन्म दर (Birth Rate) वर्ष 1971 के 36.9 प्रतिशत से गिरकर वर्ष 2017 में 20.2 प्रतिशत पर आ गई है, जबकि वर्ष 2016 की तुलना में मात्र 0.2 अंक (Points) की कमी हुई है।
- हालांकि इन चार दशकों में ग्रामीण-शहरी (Rural-Urban) जन्म दरों में अंतर काफी कम हो गया है, फिर भी शहरों की अपेक्षा ग्रामीण जन्म दर अभी भी अधिक है।
- पिछले अंतिम दशक में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में जन्म दर में कमी क्रमशः 10.7 प्रतिशत एवं 9.2 प्रतिशत रही, जबकि इसी अवधि के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर यह 22.8 प्रतिशत से कम होकर 22.2 प्रतिशत पर आ गई।
- तदनुरूप ग्रामीण क्षेत्र में भी जन्म दर 24.4 प्रतिशत से गिरकर 21.8 प्रतिशत तथा शहरी क्षेत्र में भी 18.5 प्रतिशत से गिरकर 16.8 प्रतिशत हो गई।
- विगत पांच वर्षों (2012-17) में अशोधित जन्म दर (Crude Birth Rate : CBR) में राष्ट्रीय स्तर पर 1.4 अंकों (Points) की तथा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में क्रमशः 1.3 अंकों (Points) एवं 0.6 अंकों (Points) की कमी दर्ज की गई।
- भारत के बड़े राज्यों में सर्वाधिक जन्म दर बिहार (26.4%) में, तो सबसे कम केरल (14.2) में है, जबकि सभी भारतीय राज्यों में सबसे कम अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह (11.4) में रही।
- सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2017 में सभी भारतीय राज्यों में शीर्ष जन्म दर एवं न्यूनतम जन्म दर वाले राज्य क्रमशः निम्न हैं-
- शीर्ष जन्म दर वाले राज्य : बिहार (26.4), उत्तर प्रदेश (25.9), मध्य प्रदेश (24.8), राजस्थान (24.1) दादरा और नगर हवेली (23.6)।
- न्यूनतम जन्म दर वाले राज्य :– अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह (11.4), गोवा (12.5), त्रिपुरा (13), पुडुचेरी, (13.2) तथा नगालैंड एवं चंडीगढ़ (13.5)।
- मृत्यु दर (Death Rate) जनसंख्या परिवर्तन के मूल घटकों में से एक है और संबंधित डाटा जनसांख्यिकी अध्ययन तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रशासन के लिए आवश्यक है। यह मृतकों की संख्या को मापने का सबसे सरल उपाय है, जो कि निश्चित अवधि तथा क्षेत्र में प्रति हजार जनसंख्या पर मापी जाती है।
- भारत में पिछले चार दशकों में मृत्यु दर में काफी अधिक गिरावट दर्ज की गई है। यह वर्ष 1971 के 14.9 प्रति हजार से गिरकर वर्ष 2017 में 6.3 प्रति हजार हो गई।
- जबकि पिछले अंतिम दशक में यह 7.4 प्रति हजार से गिरकर 6.3 प्रति हजार पर आ गई। इसी अवधि के दौरान यह ग्रामीण क्षेत्रों में 8 प्रति हजार से गिरकर 6.8 प्रति हजार तथा शहरी क्षेत्रों में 5.9 प्रति हजार से गिरकर 5.3 प्रति हजार हो गई।
- इन वर्षों में ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में जन्म दर में क्रमशः 14.5 तथा 10.5 प्रतिशत की दर से गिरावट दर्ज की गई है, जो यह प्रदर्शित करता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म दर के गिरने की दर शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक है।
- विगत पांच वर्षों के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर शोधित मृत्यु दर में 0.7 अंकों (Points) की गिरावट दर्ज की गई, जबकि महिला एवं पुरुष में यह गिरावट क्रमशः 0.5 तथा 1 अंकों (Points) की दर्ज की गई है।
- वर्ष 2017 में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में मृत्यु दर भिन्न-भिन्न है। शहरी क्षेत्रों में यह 5.3 प्रति हजार है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में यह 6.9 प्रति हजार है।
- बड़े राज्यों, छोटे राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की तुलना करने पर मृत्यु दर (Death Rate) सबसे कम नगालैंड (3.6 प्रति हजार) में है, तो सबसे अधिक छत्तीसगढ़ (7.5 प्रति हजार) में, जबकि केवल बड़े राज्यों में सबसे कम देलही (दिल्ली) में (3.7) है।
- सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2017 में शीर्ष मृत्यु दर एवं न्यूनतम मृत्यु दर वाले पांच राज्य निम्न हैं- सभी भारतीय राज्यों में शीर्ष मृत्यु दर वाले पांच राज्य- छत्तीसगढ़ (7.5), ओडिशा (7.4), पुडुचेरी (7.3), आंध्र प्रदेश (7.2) तथा पंजाब (7)।
- सभी भारतीय राज्यों में न्यूनतम मृत्यु दर वाले पांच राज्य-नगालैंड (3.6), दिल्ली (3.7), मिजोरम (4), दादरा और नगर हवेली (4.4) तथा चंडीगढ़ एवं सिक्किम (4.5)।
- शिशु मृत्यु दर (IMR) किसी देश या क्षेत्र के समग्र स्वास्थ्य परिदृश्य हेतु अशोधित संकेतक (Crude Indicator) के रूप में स्वीकार किया जाता है। यह एक निश्चित समयावधि में और किसी दिए गए क्षेत्र में प्रति हजार जीवित जन्मों में शिशु मृत्यु (एक वर्ष से कम) के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- राष्ट्रीय स्तर पर शिशु मृत्यु दर (IMR) का वर्तमान स्तर 33 (वर्ष 2017 में 1000 जीवित जन्म पर 33 शिशुओं की मृत्यु) वर्ष 1971 के स्तर 179 (1000 जीवित जन्म पर 179 शिशुओं की मृत्यु) की तुलना में घटकर एक-चौथाई हो गया है। जबकि वर्ष 2016 के स्तर (34) की तुलना में मात्र 1 अंक (Point) की गिरावट दर्ज की गई है।
- विगत पांच वर्षों (2012-17) में इसमें 9 अंकों (Points) की कमी हुई है। वर्ष 2012 में शिशु मृत्यु दर का स्तर 42 था।
- पिछले पांच वर्षों में शिशु मृत्यु दर में औसतन 1.8 अंकों (Points) की वार्षिक गिरावट दर्ज की गई है।
- तदनुरूप इसी अवधि के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में 9 अंकों (वर्ष 2012 के स्तर 46 से कम होकर 2017 में 37 हो गया) की तथा शहरी क्षेत्रों में 5 अंकों (2012 के स्तर 28 से गिरकर वर्ष 2017 में 23 हो गया) की गिरावट दर्ज की गई है।
- वर्ष 2012-17 के दौरान महिला एवं पुरुष दोनों की संख्या में कमी गिरावट दर्ज की गई है।
- पिछले एक दशक में शिशु मृत्यु दर (IMR) में गिरावट ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में क्रमशः 36.7 और 36 प्रतिशत दर्ज की गई है। राष्ट्रीय स्तर पर यह 53 से गिरकर 33 हो गई है। तदनुरूप ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह 58 से गिरकर 37 तथा शहरी क्षेत्रों के लिए 36 से गिरकर 23 पर आ गई है।
- पिछले एक दशक में शिशु मृत्यु दर में गिरावट के बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर (ग्रामीण-शहरी के बावजूद) प्रत्येक 30 जीवित जन्म में से एक शिशु की मृत्यु हो जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 27 जीवित जन्म में एक शिशु की मृत्यु तथा शहरी क्षेत्र में 43 जीवित जन्म में से एक शिशु की मृत्यु दर्ज की गई है।
- राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों में शिशु मृत्यु दर (IMR) आंकड़ा जहां नगालैंड में सबसे कम (7) दर्ज किया गया है वहीं मध्य प्रदेश में यह सर्वाधिक (47) दर्ज है।
- सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2017 में सभी भारतीय राज्यों में शिशु मृत्यु दर वाले शीर्ष एवं न्यूनतम 5 राज्य निम्न हैं-शिशु मृत्यु दर वाले शीर्ष 5 राज्य- मध्य प्रदेश (47), असम (44), अरुणाचल प्रदेश (42) तथा उत्तर प्रदेश एवं ओडिशा (41)।
- निम्न मृत्यु दर वाले शीर्ष 5 राज्य-नगालैंड (7), गोवा (9), केरल (10), पुडुचेरी (11) तथा मणिपुर एवं सिक्किम (12)।
- वर्ष 2016 की तुलना में वर्ष 2017 में नवजात मृत्यु दर (Neo-Natal Mortality Rate-NNMR) में 1 अंक की गिरावट दर्ज की गई है।
- जन्म के समय लिंगानुपात (Sex Ratio) में वर्ष 2015-17 के दौरान 2 प्रतिशत घटकर 896 हो गया है। वर्ष 2014-16 में यह 898 था।
- जन्म के समय सर्वाधिक लिंगानुपात छत्तीसगढ़ (961), जबकि सबसे कम हरियाणा (833) में है।
- विगत चार वर्षों (2013-16) के दौरान कुल प्रजनन दर (TFR) 2.3 प्रतिशत पर स्थिर रहने के बाद वर्ष 2017 में घटकर 2.2 हो गई।
- वर्ष 2017 में कुल प्रजनन दर (TFR) सर्वाधिक बिहार (3.2) में, तो सबसे कम दिल्ली (1.5) में दर्ज की गई है।