रमनसैट-2 का प्रक्षेपण



  • वर्तमान परिप्रेक्ष्य

  • 23 सितंबर, 2019 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी 'नासा' ने 'रमनसैट-2 (RamanSat-2) नामक एक 'लघु उपग्रह' (Miniature Satellite) का प्रक्षेपण किया।

  • इस उपग्रह को टेक्सास (अमेरिका) स्थित नासा की 'कोलंबिया साइंटिफिक बैलून फसिलिटी' (Columbia Scientific Balloon Facility) से प्रक्षेपित किया गया।

  • इस प्रक्षेपण के तहत, नासा के 'शून्य-दाब वाले वैज्ञानिक गुब्बारे' (Zero Pressure Scientific Balloon) की सहायता से इस उपग्रह को लगभग 38 किमी. की ऊंचाई पर स्थापित किया गया, जहां परिस्थितियां काफी हद तक 'बाह्य अंतरिक्ष' (Outer Space) के समान ही होती हैं।

  • रमनसैट-2

  • रमनसैट-2 एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक (Technology Demon-stration) मिशन है।

  • नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय भौतिक शास्त्री (Physicist) सर सी.वी. रमन के सम्मान में ही इस उपग्रह को रमनसैट-2 नाम दिया गया है।

  • रमनसैट-2 एक छोटे घन (Tiny Cube) के आकार का उपग्रह है, जिसकी माप 4 cm × 4 cm × 4 cm है।

  • विकास

  • रमनसैट-2 उपग्रह को एक 17-वर्षीय भारतीय छात्र आभाष सिक्का ने 'स्पेस इंडिया' (SPACE-India) नामक संगठन में प्रशिक्षु के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान डिजाइन किया था।

  • उल्लेखनीय है कि, स्पेस-इंडिया खगोल विज्ञान (Astronomy),  अंतरिक्ष शिक्षा एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्य करने वाला नई दिल्ली स्थित एक संगठन है।

  • स्पेस इंडिया के चेयरमैन तथा प्रबंध निदेशक सचिन बाह्म्बा के निर्देशन में तथा इस संगठन के अनुसंधान दल के सहयोग से आभाष ने इस उपग्रह को डिजाइन किया है।

  • क्यूब्स इन स्पेस

  • उल्लेखनीय है कि प्रक्षेपण हेतु नासा द्वारा रमनसैट-2 उपग्रह का चयन 'क्यूब्स इन स्पेस' (Cubes in Space) नामक एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के माध्यम से किया गया।

  • इस प्रतियोगिता का आयोजन अमेरिका स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन idoodledu inc. द्वारा नासा के सहयोग से किया जाता है।

  • उल्लेखनीय है कि क्यूब्स इन स्पेस, 11-18 वर्ष   तक की उम्र के छात्रों हेतु आयोजित की जाने वाली ऐसी एकमात्र वैश्विक प्रतियोगिता है, जो बिना किसी शुल्क के उन्हें लघु उपग्रहों/प्रयोगों को डिजाइन करने का अवसर प्रदान करती है।

  • इस प्रतियोगिता के माध्यम से चयनित छात्रों द्वारा डिजाइन उपग्रहों को नासा के साउंडिंग रॉकेट (Sounding Rocket) या शून्य दाब वाले वैज्ञानिक गुब्बारे के माध्यम से अंतरिक्ष या अंतरिक्ष जैसी परिस्थितियों में लांच किया जाता है।

  • रमनसैट-1

  • ज्ञातव्य है कि रमनसैट-2, स्पेस-इंडिया के संरक्षण में डिजाइन किया गया दूसरा उपग्रह है, जिसे नासा ने प्रक्षेपित किया है।

  • इसके पूर्व 'क्यूब्स इन स्पेस' प्रतियोगिता के माध्यम से ही चयनित स्पेस-इंडिया के रमनसैट-1 लघु उपग्रह को नासा ने 20 जून, 2019 को प्रक्षेपित किया था।

  • रमनसैट-2 : उद्देश्य

  • रमनसैट-2 लघु उपग्रह अंतरिक्ष में कम लागत के 'गामा-किरण संवेदक' (Gamma-Ray Sensor) के प्रयोग द्वारा अनुसंधान संचालित करेगा।

  • इस उपग्रह का मुख्य उद्देश्य ब्रह्माण्ड में सुदूर खगोलीय पिंडों द्वारा उत्सर्जित ऊर्जावान गामा विकिरण का पता लगाना है।

  • ज्ञातव्य है कि इस प्रकार का अनुसंधान केवल अधिक ऊंचाइयों पर ही संचालित किया जा सकता है, क्योंकि पृथ्वी का वायुमंडल एक कवच के रूप में कार्य कर गामा विकिरण को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने से रोकता है।

  • उल्लेखनीय है कि अंतरिक्षीय विकिरण (गामा किरणों सहित) जीवधारियों के साथ-साथ उपग्रहों के लिए भी घातक साबित हो सकता है।

  • इस दृष्टि से रमनसैट-2 उपग्रह ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ विकिरण के स्तर में वृद्धि होने के कारणों को समझने के अतिरिक्त समतापमंडल (Stratosphere) के ऊपरी हिस्से में विकिरण के स्तर को मापने में भी उपयोगी साबित होगा।

  • समग्र रूप में कह सकते हैं कि यह उपग्रह मनुष्यों एवं उपग्रहों द्वारा किए जाने वाले अंतरिक्ष अनुसंधान को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक प्रयास है।

  • कलामसैट

  • उल्लेखनीय है कि कलामसैट, किसी भारतीय छात्र द्वारा विकसित प्रथम प्रायोगिक उपग्रह था, जिसे नासा द्वारा प्रक्षेपित किया गया था।

  • क्यूब्स इन स्पेस प्रतियोगिता के माध्यम से ही चयनित इस उपग्रह को 22 जून, 2017 को अमेरिका के वर्जीनिया में वालप्स द्वीप स्थित 'वालप्स उड़ान सुविधा' (Wallops Flight Facility) से एक साउंडिंग रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किया गया था।

  • चेन्नई, तमिलनाडु स्थित 'स्पेस किड्ज इंडिया' (Space Kidz India) नामक एक अनुसंधान संगठन के एक सात-सदस्यीय दल ने इस उपग्रह का निर्माण किया था।

  • इस दल में मुख्य वैज्ञानिक (Lead Scientist) के रूप में 18 वर्षीय छात्र रिफत शारुक कार्यरत थे।

  • 64 ग्राम वजनी इस 3.8 cm के घनाकार उपग्रह को विश्व के सबसे छोटे (Smallest) तथा सबसे हल्के (Lightest) उपग्रह की संज्ञा दी गई थी।

  • साथ ही यह प्रथम अवसर था, जब किसी उपग्रह के निर्माण हेतु 3-D प्रिंटिंग प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया गया था।

  • उल्लेखनीय है कि इस उपग्रह का नामकरण देश के पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम पर किया गया था।

  • निष्कर्ष

  • रमनसैट-2 का प्रक्षेपण स्पेस-इंडिया संगठन के साथ ही पूरे देश के लिए भी एक गौरव का क्षण है, जिसमें युवा छात्रों ने अंतरिक्षीय प्रयोगों को संचालित करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। अभी तक केवल वैज्ञानिक तथा विभिन्न अंतरिक्ष एजेंसियां ही अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में संलग्न रही हैं, लेकिन क्यूब्स इन स्पेस कार्यक्रम के माध्यम से स्कूली छात्रों द्वारा भी अंतरिक्ष अन्वेषण को संचालित किए जाने का   मार्ग प्रशस्त हो गया है।