सतत नाइट्रोजन प्रबंधन पर ‘कोलंबो घोषणा-पत्र’

 




  • वर्तमान परिप्रेक्ष्य

  • 24 अक्टूबर‚ 2019 को श्रीलंका के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के सदस्य देशों ने सतत नाइट्रोजन प्रबंधन पर 'कोलंबो घोषणा-पत्र' को अपनाया।

  • इस घोषणा-पत्र का मुख्य उद्देश्य वैश्विक नाइट्रोजन चुनौती से निपटने के लिए प्रस्तावित रोडमैप का समर्थन करना है।

  • इस घोषणा के तहत वर्ष 2030 तक नाइट्रोजन कचरे को आधा करने का लक्ष्य रखा गया है।

  • कोलंबो घोषणा को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और अंतरराष्ट्रीय नाइट्रोजन पहल (International Nitrogen Initiative) की संयुक्त गतिविधि 'अंतरराष्ट्रीय नाइट्रोजन प्रबंधन प्रणाली' (International Nitrogen Management System) के तकनीकी समर्थन के साथ विकसित किया गया है।

  • यह घोषणा-पत्र वैश्विक पर्यावरण सुविधा द्वारा भी समर्थित है।

  • कोलंबो घोषणा-पत्र के भाग के रूप में 'जीवन के लिए नाइट्रोजन' (Nitrogen for Life) नामक एक अभियान प्रारंभ किया गया।

  • इस अभियान को 30 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने अपना समर्थन प्रदान किया।

  • यह अभियान स्थायी नाइट्रोजन प्रबंधन पर संयुक्त राष्ट्र की योजनाओं का समर्थन करता है।

  • यह अभियान उस सतत नाइट्रोजन प्रबंधन प्रस्ताव से उपजा है‚ जिसे केन्या स्थित नैरोबी के यूनेप (UNEP) मुख्यालय में मार्च‚ 2015 में संपन्न संयुक्त पर्यावरण सभा के चौथे सत्र के दौरान अपनाया गया था।

  • कोलंबो घोषणा संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों‚ अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों‚ विकास सहयोगियों‚ शैक्षणिक और नागरिक संगठनों को इसके कार्यान्वयन का समर्थन करने का आह्वान करती है।

  • यह विभिन्न देशों से राष्ट्रीय स्तर पर नीति‚ कार्यान्वयन‚ विनियमन और वैज्ञानिक पहलुओं को कवर करने वाले नाइट्रोजन साइक्लिंग (Nitrogen Cycling) पर व्यापक मूल्यांकन करने का भी आग्रह करता है।

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की स्थापना जून‚ 1972 में मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन के परिणामस्वरूप हुई थी।

  • इसका मुख्यालय केन्या की राजधानी नैरोबी में है।

  • यह संगठन पर्यावरण से संबंधित विषयों के लिए एक अग्रणी संगठन है‚ जो भविष्य में आने वाली पीढ़ियों से समझौता किए बिना लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए पर्यावरण की देखभाल हेतु नेतृत्व प्रदान करती है और साझेदारी को प्रोत्साहित करती है।