- वर्तमान परिप्रेक्ष्य
- 17 जनवरी, 2020 को कौरू प्रक्षेपण बेस, फ्रेंच गुयाना (दक्षिण अमेरिका) से व्यावसायिक प्रक्षेपण सेवा प्रदाता कंपनी एरियनस्पेस के एरियन-5 ECA रॉकेट ने उड़ान भरी।
- इस मिशन के तहत एरियन-5 ने दो संचार उपग्रहों यथा जीसैट-30 और यूटेलसैट कनेक्ट (EUTELSAT KONNECT) को उनकी निर्धारित कक्षाओं में स्थापित कर दिया।
- मिशन का विवरण
- एरियन-5 रॉकेट ने उड़ान भरने के 27 मिनट बाद सर्वप्रथम यूटेलसैट कनेक्ट को उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित किया।
- जबकि लिफ्ट-ऑफ (lift off) के लगभग 38 मिनट, 25 सेकंड बाद भारत का जीसैट-30 उपग्रह एरियन-5 के ऊपरी चरण से पृथक होकर दीर्घवृत्ताकार ‘भू--तुल्यकाली स्थानांतरण कक्षा’ (Geosyn-chronous Transfer Orbit) में स्थापित हो गया।
- तत्पश्चात, जीसैट-30 की नोदन प्रणाली (Propulsion System) के प्रयोग द्वारा तीन चरणों में कक्षोन्नयन (Orbit raising) की प्रक्रियाओं के माध्यम से इस उपग्रह को भूस्थिर कक्षा (भू-मध्य रेखा से 36000 किमी. की ऊंचाई पर स्थित) में स्थापित कर दिया गया।
- मिशन की खास बातें
- एरियनस्पेस की संख्यांकन प्रणाली (Numbering System) के तहत, इस मिशन को उड़ान VA 251 (Flight VA 251) के रूप में अभिहित किया गया था।
- सद्यः मिशन, एरियनस्पेस के किसी रॉकेट का 315वां, जबकि एरियन-5 के किसी संस्करण का 107वां मिशन था।
- सद्यः मिशन के तहत एरियन-5 रॉकेट ने अंतरिक्ष में कुल 7888 किग्रा. पेलोड (Payload) को स्थापित किया।
- जीसैट-30
- जीसैट-30, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा डिजाइन एवं निर्मित एक दूरसंचार उपग्रह है।
- जीसैट-30, 24वां भारतीय भूस्थिर उपग्रह है, जिसे एरियनस्पेस ने प्रक्षेपित किया है।
- यह उपग्रह ‘परिष्कृत I-3K प्लेटफॉर्म’ (Enhanced I-3K Platform) पर आधारित है।
- यह उपग्रह कक्षा में इनसैट-4A का स्थान लेगा।
जीसैट-30 : मुख्य विशेषताएं | |
उत्थापन भार | 3357 किग्रा. |
ऊर्जा | 6 किलोवॉट |
कक्षीय स्थिति | 83o पूर्व |
पेलोड | C-बैंड तथा Ku-बैंड ट्रांसपोंडर्स |
कवरेज क्षेत्र | Ku-बैंड : भारतीय मुख्य भूमि तथा द्वीपीय क्षेत्र C-बैंड : व्यापक कवरेज |
मिशन अवधि | > 15 वर्ष |
- अनुप्रयोग
- जीसैट-30 का प्रयोग व्यापक रूप से VSAT नेटवर्कों, टेलीविजन अपलिकिंग तथा टेलीपोर्ट सेवाओं, डीएसएनजी (DSNG : Digital Satellite News Gathering), DTH-टेलीविजन सेवाओं तथा अन्य बहुत से ऐसे अनुप्रयोगों को सहयोग प्रदान करने में किया जा सकेगा।
- यह उपग्रह Ku-बैंड के माध्यम से भारतीय मुख्य भूमि तथा द्वीपीय क्षेत्र में संचार सेवाएं प्रदान करेगा।
- जबकि यह उपग्रह C-बैंड के माध्यम से खाड़ी देशों, कई एशियाई देशों तथा ऑस्ट्रेलिया में व्यापक कवरेज उपलब्ध कराएगा।
- जीसैट-30 की सफल स्थापना के साथ इसरो ने अंतरिक्ष के प्रयोग के माध्यम से भारतीय उपमहाद्वीप में डिजिटल विभाजन (Digital Divide) को कम करने का प्रयास किया है।
- यूटेलसैट कनेक्ट
- यूटेलसैट कनेक्ट, यूरोपीय उपग्रह संचालक ‘यूटेलसैट’ का 34वां उपग्रह है, जिसे एरियनस्पेस ने प्रक्षेपित किया है।
- यह नई पीढ़ी का उच्च-थ्रूपुट (High-throughput) उपग्रह है, जो यूरोप एवं अफ्रीका में सेवाएं प्रदान करेगा।
- 3620 किग्रा. वजनी यह उपग्रह 13 डिग्री पूर्व की कक्षीय स्थिति से संचालित होगा।
- यह उपग्रह अफ्रीका के 40 देशों तथा यूरोप के 15 देशों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराने के माध्यम से डिजिटल अंतराल की समस्या से निपटने में मदद करेगा।
यूटेलसैट कनेक्ट : विशेषताएं | |
मिशन | दूरसंचार |
भार | 3620 किग्रा. |
प्रणोदन | पूर्णतः विद्युत |
पेलोड | Ka-बैंड |
कवरेज क्षेत्र | अफ्रीका एवं यूरोप |
मिशन अवधि | 15 वर्ष |
- निष्कर्ष
- लगभग 39 वर्षों से भारत एवं फ्रांस अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोगी रहे हैं। उल्लेखनीय है कि फ्रांसीसी कंपनी एरियनस्पेस ने सर्वप्रथम वर्ष 1981 में भारत के ‘एप्पल’ (APPLE) नामक प्रायोगिक उपग्रह को प्रक्षेपित किया था। जीसैट-30 की अंतरिक्ष में सफल स्थापना ने अंतरिक्ष सहयोग के क्षेत्र में भारत एवं फ्रांस के संबंधों को विस्तार दिया है।