- पृष्ठभूमि
- संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNPF) द्वारा हाल ही में ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट, 2020’ (State of the World Population Report, 2020) जारी की गई है।
- इस रिपोर्ट को कोविड-19 महामारी के प्रारंभिक अवस्था के दौरान जारी किया गया है।
- इस रिपोर्ट का शीर्षक "Against My Will : Defying the Practices that harm women and girls childs and undermine equality" है।
- इस रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर लैंगिक भेदभाव एवं भ्रूण लिंग परीक्षण के कारण महिलाओं की जनसंख्या में हो रही कमी पर चिंता व्यक्त की गई है।
- रिपोर्ट के अनुसार, लिंग आधारित भ्रूण परीक्षण के कारण पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष 14.2 करोड़ लड़कियों की मृत्यु हो रही है।
- रिपोर्ट के महत्वपूर्ण बिंदु
- लैंगिक भेदभाव एवं लिंग आधारित भ्रूण परीक्षण के कारण महिलाओं की मृत्यु संख्या पिछले 50 वर्षों में दोगुने से अधिक हो गई है। वर्ष 1971 में यह संख्या 6.1 करोड़ थी, जो वर्ष 2020 में बढ़कर 14.26 करोड़ हो गई है।
- प्रतिवर्ष 12 लाख से 15 लाख लड़कियों की मृत्यु लिंग चयन के कारण हो जाती है, जिसमें 90-95 प्रतिशत मृत्यु भारत और चीन में होती है।
- वर्ष 2020 में मृत महिलाओं की संख्या के मामले में पहले स्थान पर चीन (7.23 करोड़) तत्पश्चात दूसरे स्थान पर भारत (4.6 करोड़) है।
- अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में 5 वर्ष से कम आयु की लड़कियों की मृत्यु दर 3 प्रतिशत से कम है।
- विश्व में लिंग परीक्षण के कारण कुल मृत लड़कियों की संख्या लगभग दो-तिहाई है तथा जन्म के बाद की महिला मृत्यु दर लगभग 1/3 है।
- प्रति हजार लड़कियों में से सैकड़ों लड़कियों को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है।
- इस रिपोर्ट में कुल 19 मानवाधिकार उल्लंघन प्रथाओं का उल्लेख किया गया है, जिनसे महिलाओं को हिंसा का शिकार होना पड़ता है।
- इनमें तीन प्रमुख बाल विवाह, महिला जननांग विकृति और पुत्रों के पक्ष में पुत्रियों से भेदभाव हैं।
- पूरे विश्व में वर्ष 2020 में लगभग 41 लाख लड़कियों को महिला जननांग विकृति जैसी कुप्रथाओं से प्रताड़ित होना पड़ सकता है।
- विश्वभर में प्रतिदिन 18 वर्ष से कम आयु की लगभग 33 हजार लड़कियों को आमतौर पर अधिक आयु के पुरुषों से विवाह के लिए मजबूर किया जाता है।
- यद्यपि रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि वर्ष 1990 से 2018 के बीच दो-तिहाई देशों में बाल विवाह में कमी आई है।
- इस रिपोर्ट में स्कूल से लड़कियों को लंबे समय तक जोड़ने और सामाजिक बदलाव में पुरुषों और बालकों को शामिल करके अगले दशक में बाल विवाह प्रथा के समाप्त होने की संभावना व्यक्त की गई है।
- वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष 3.4 बिलियन डॉलर के निवेश के द्वारा 8.4 करोड़ लड़कियों को बचाया जा सकता है।
- रिपोर्ट में कोविड-19 महामारी के द्वारा हुए आर्थिक व्यवधान के फलस्वरूप लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा और भेदभाव में वृद्धि की संभावना जताई गई है।
- भारत की स्थिति
- स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट, 2020 के अनुसार, लिंग चयन के कारण वर्ष 2013 से 2017 के दौरान प्रति वर्ष लगभग 4.6 लाख लड़कियों की मृत्यु हुई है।
- वर्ष 2020 में भारत में लगभग 4.6 करोड़ लड़कियों की मृत्यु हुई है।
- भारत में प्रति 1000 महिलाओं पर 13.5 प्रति महिला की मृत्यु प्रसव पूर्व लिंग चयन के कारण हुई है।
- भारत में 5 वर्ष से कम आयु की लड़कियों में मृत्यु दर का अनुपात सर्वाधिक 9 लड़कियों पर 1 है, जिसका प्रमुख कारण प्रसव पूर्व लिंग चयन हो सकता है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि 51 प्रतिशत अशिक्षित लड़कियों और 47 प्रतिशत प्राथमिक शिक्षा प्राप्त लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की उम्र के पूर्व ही कर दिया जाता है।
- जबकि माध्यमिक शिक्षा प्राप्त 29 प्रतिशत और माध्यमिक शिक्षा से उच्च शिक्षा प्राप्त 4 प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की उम्र के पूर्व हो जाता है।
स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट-2020