- वर्तमान परिदृश्य
- 18 अगस्त‚ 2020 को उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने नई ‘उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति‚ 2020’ को मंजूरी प्रदान कर दी।
- यह नीति संपूर्ण राज्य में प्रभावी होगी‚ यद्यपि बुंदेलखंड एवं पूर्वांचल में निवेश के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
- पृष्ठभूमि
- इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग वैश्विक स्तर पर बड़ा एवं तीव्र गति से उभरता क्षेत्र है। वैश्विक स्तर पर वर्ष 2020 तक इसका आकार 2.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होगा।
- वर्ष 2020 तक भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार का आकार 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर होगा।
- ‘उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति‚ 2017’ की आशातीत सफलता ने इसे पूरे प्रदेश में विस्तारित करने पर बल दिया क्योंकि पुरानी नीति केवल नोएडा‚ ग्रेटर नोएडा‚ यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के लिए लक्षित था।
- आज भारत में बनने वाले कुल मोबाइल फोन का 60 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में बनता है। उद्देश्य è इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण उद्योग को उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण विकास संचालक के रूप में विकसित करना‚ जिसमें प्रभावी उपयोग के लिए कुशल बल एवं नवाचार को अपनाने के साथ-साथ उभरती तकनीकों के ऐसे सर्वोत्कृष्ट आधारिक संरचना के माध्यम से एक सतत पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना‚ जो राज्य एवं राष्ट्र के संपूर्ण आर्थिक विकास का आधार बन सके।
- लक्ष्य
(i) 40,000 करोड़ रु. का निवेश आकर्षित करना।
(ii) प्रदेश में तीन इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण गुच्छ (EMC) की स्थापना।
(iii) प्रदेश में तीन उत्कृष्टता केंद्रों (CoE) की स्थापना।
(iv) प्रदेश में घरेलू/विदेशी निवेशकों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन विनिर्माण (ई.एस.डी.एम.) पार्क की स्थापना।
(v) प्रदेश में लगभग 4 लाख रोजगार के अवसर प्रदान करना।
(vi) फैब इकाइयों के माध्यम से सेमीकंडक्टर्स निर्माण में निवेश आकर्षित करना।
- नीति की मुख्य बातें
- नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग‚ उत्तर प्रदेश शासन के अधीन एक नोडल संस्था नामित की जाएगी।
- नोडल संस्था के कार्यों की देख-रेख के लिए प्रमुख सचिव‚ सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स की अध्यक्षता में एक नीति कार्यान्वयन इकाई स्थापित की जाएगी‚ जो 200 करोड़ रु. से कम पूंजी निवेश अनुमोदन के लिए उत्तरदायी होगी।
- मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय सशक्त समिति स्थापित की जाएगी‚ जो 200 करोड़ से अधिक निवेश को अनुशंसा देगी। यद्यपि यह अनुशंसा मंत्रिमंडल के अनुमोदन के अधीन होगी।
- नीति के अंतर्गत बनने वाले तीन इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण गुच्छ (EMC) निम्नलिखित हैं-
(i) यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YIEDA) में जेवर हवाई अड्डे के पास इलेक्ट्रॉनिक सिटी की स्थापना (गौतमबुद्ध नगर)।
(ii) बुंदेलखंड में रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण गुच्छ।
(iii) लखनऊ-उन्नाव-कानपुर जोन में मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण गुच्छ।
- उत्कृष्टता के केंद्र की कुल परियोजना लागत का 25 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा तथा शेष 75 प्रतिशत भारत सरकार एवं संबंधित उद्योग संघ द्वारा वहन किया जाएगा।
- नीति में पूंजी उपादान सरकार द्वारा गठित समिति के मूल्यांकन के आधार पर प्रदान किया जाएगा।
(i) 200 करोड़ रु. तक के स्थिर पूंजी निवेश पर 15 प्रतिशत पूंजी उपादान (अधिकतम 10 करोड़ रु.)
(ii) 200 करोड़ रु. से 1000 करोड़ रु. तक के स्थिर पूंजी निवेश पर 15 प्रतिशत पूंजी उपादान (अधिकतम 150 करोड़ रु.)। 3 वार्षिक किस्तों में उत्पादन आरंभ होने के बाद।
(iii) 1000 करोड़ रु. से अधिक स्थिर पूंजी निवेश पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत पूंजी उपादान अधिकतम 100 करोड़ रु. (कुल 250 करोड़ रु.)। 5 वार्षिक किस्तों में देय होगा‚ जब इकाई अपनी क्षमता की कम-से-कम 80 प्रतिशत उत्पादन क्षमता प्राप्त कर ले।
- भूमि संबंधी उपादान के प्रावधान निम्नलिखित हैं-
(i) मध्यांचल एवं पश्चिमांचल क्षेत्र में सरकारी अभिकरण से भूमि खरीदने पर तत्समय प्रचलित सेक्टर दरों पर 25 प्रतिशत भूमि उपादान दिया जाएगा।
(ii) बुंदेलखंड एवं पूर्वांचल क्षेत्र के लिए यह उपादान 50 प्रतिशत है।
(iii) भूमि उपादान कुल परियोजना लागत के 7.5 प्रतिशत या 75 करोड़ (जो भी कम हो) की सीमा तक प्रदान किया जाएगा।
- इस नीति में निवेश के लिए अन्य सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं-
(i) समस्त ई.एस.डी.एम. इकाइयों को अधिकतम 10 वर्षों के लिए इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी से 50 प्रतिशत छूट प्रदान की गई है।
(ii) 200 करोड़ रु. तक निवेश वाली इकाइयों को अधिसूचित बैंकों/वित्तीय संस्थाओं से लिए गए ऋण के ब्याज की दर पर 5 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज उपादान की प्रतिपूर्ति 5 वर्ष तक प्रति वर्ष 1 करोड़ रु. की सीमा तक की जाएगी।
(iii) सड़क ऊर्जा जलापूर्ति‚ परीक्षण सुविधाओं इत्यादि आधारिक सुविधाओं के विकास पर निहित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण गुच्छ (EMC) लागत का 50 प्रतिशत योगदान भारत सरकार द्वारा दिया जाएगा।
(iv) सकल घरेलू पेटेंट हेतु 5,00,000 रु. तथा अंतरराष्ट्रीय पेटेंट हेतु 10,00,000 रु. की सीमा तक पेटेंट फाइलिंग लागत की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति वास्तविक आधार पर की जाएगी।
- यह अधिसूचना तिथि से 5 वर्षों के लिए मान्य होगी तथा इसमें दिए गए वित्तीय प्रोत्साहन केंद्र सरकार द्वारा दिए गए प्रोत्साहन के अतिरिक्त (शर्तों के साथ) होंगे।
- निष्कर्ष
- यह नीति इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में नया जोश पैदा करने के साथ-साथ प्रदेश के समग्र विकास को प्रोत्साहित करेगी।
- अभी तक ग्रेटर नोएडा‚ नोएडा एवं यमुना एक्सपे्रस-वे प्राधिकरण तक सिमटे इलेक्ट्रॉनिक्स हब का विस्तार प्रदेश के पिछड़े जिलों तक होगा।
- इस प्रकार यह नीति प्रदेश के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास में सहायक होगी।