डिकिनसोनिया : प्राचीनतम ज्ञात प्राणी

 

  • वर्तमान संदर्भ
  • ‘गोंडवाना रिसर्च नामक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के फरवरी‚ 2021 के अंक में एक शोध प्रकाशित हुआ है‚ जिसके अनुसार‚ शोधकर्ताओं ने मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित यूनेस्को संरक्षित स्थल भीमबेटका में लगभग 550 मिलियन वर्ष पुराने प्रारंभिक ज्ञात जीवित प्राणी ‘डिकिनसोनिया’ (Diskinsonia) के तीन जीवाश्मों की खोज की है।
  • ये जीवाश्म ‘भीमबेटका शैलाश्रय’ में ‘ऑडीटोरियम केव’ नामक स्थान के ऊपरी हिस्से में पाए गए हैं।
  • देश में पहली बार इस जीव का जीवाश्म मिला है।
  • पृष्ठभूमि
  • भीमबेटका में यह जीवाश्म शोधकर्ताओं को संयोग से मिला।
  • मार्च‚ 2020 में होने वाली 36वीं इंटरनेशनल जियोलॉजिकल कांग्रेस के पहले दो शोधकर्ता भीमबेटका भ्रमण पर गए थे।
  • यहीं पर इनको जमीन से 11 फीट की ऊंचाई पर चट्टान पर उभरी पत्तीनुमा आकृतियां‚ जो कि रॉक आर्ट की तरह थीं‚ मिलीं।
  • अध्ययन के मुताबिक डिकिनसोनिया के जीवाश्म चार फीट तक हो सकते हैं‚ परंतु भीमबेटका में मिला जीवश्म 17 इंच लंबा है।
  • प्रमुख तथ्य
    (1) भीमबेटका में मिले जीवाश्म के पृथ्वी के सबसे प्राचीन जीव (जानवर) डिकिनसोनिया के होने की पुष्टि दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में इसी जीव के 5410 लाख वर्ष पुराने जीवश्म से मिलान करने के पश्चात हुई है।
  • अत: भीमबेटका में मौजूद डिकिनसोनिया का जीवाश्म विश्व का सबसे प्राचीन है।

(2) अब तक यह माना जाता था कि स्पंज सबसे पुराना जीवित जीव है‚ परंतु वर्तमान में ऐसा कोई तथ्य मौजूद नहीं है कि 540 मिलियन वर्ष पूर्व स्पंज जैसे जीव मौजूद थे।
(3) डिकिनसोनिया –

(4) इडिऐकरन कल्प‚ एक भू-वैज्ञानिक काल है। इसकी अवधि‚ 635 मिलियन वर्ष पहले क्रायोजेनियन (Cryogenian) काल के अंत के बाद 541 मिलियन वर्ष पहले कैम्ब्रियन काल की शुरुआत तक‚ 94 मिलियन वर्ष की मानी जाती है।
(5) खोज का महत्व

  • यह अतीत के वातावरण अर्थात पेलियोएनवायर्नमेंट (Paleoenvironments) का एक साक्ष्य है और साथ ही लगभग 550 मेगा वर्ष पूर्व गोंडवाना लैंड (Gondwanaland) की उपस्थिति की पुष्टि करता है।
  • पेलियोएनवायर्नमेंट का तात्पर्य एक ऐसे परिवेश से होता है‚ जिसको चट्टानों के माध्यम से संरक्षित रखा गया है।
  • मेगा वर्ष एक मिलियन वर्ष के बराबर होता है‚ जो कि समय की एक इकाई है।
  • समय की इस इकाई को प्राय: वैज्ञानिक विषयों‚ जैसे-भू-विज्ञान‚ जीवाश्म विज्ञान और आकाशीय यांत्रिकी में बहुत लंबे समय को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

(6) भीमबेटका गुफाएं

  • भीमबेटका की पहाड़ी गुफाओं को यूनेस्को (UNESCO) द्वारा वर्ष 2003 में विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता दी गई‚ जो कि मध्य प्रदेश राज्य के मध्य भारतीय पठार के दक्षिण सिरे पर स्थित विंध्याचल पर्वत की तराई में स्थित हैं।
  • इसके दक्षिण से सतपुड़ा की पहाड़ियां आरंभ होती हैं।
  • भीमबेटका को भीम का निवास भी कहते हैं। (हिंदू धर्म ग्रंथ महाभारत के अनुसार पांच पांडवों में से भीम द्वितीय थे।)
  • लगभग 10 किमी. क्षेत्र में विस्तृत भीमबेटका विश्व धरोहर स्थल में, कुल 7 पहाड़ियां और 750 से अधिक गुफाएं शामिल हैं।
  • भीमबेटका गुफाएं मध्य भारत का एक पुरातात्विक स्थल है‚ जो कि मध्य प्रदेश में होशंगाबाद और भोपाल के मध्य रायसेन जिले में अवस्थित हैं।
  • जिसकी काल अवधि प्रागैतिहासिक पाषाण काल और मध्य पाषाण काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक है।
  • इसकी खोज वर्ष 1957-58 में ‘डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर’ द्वारा की गई थी।
  • भीमबेटका गुफाएं भारत में मानव जीवन के शुरुआती संकेतकों और पाषाण युग के साक्ष्य को प्रदर्शित करती हैं।
  • भीमबेटका की गुफाओं में लगभग 10,000 वर्ष पुराने प्रागैतिहासिक काल की विशेषताओं वाले चित्र विद्यमान हैं।
  • गुफाओं की अधिकांश तस्वीरें लाल और सफेद रंग के साथ तो कभी-कभी पीले और हरे रंग के बिंदुओं से सजी हैं।
  • इनमें दैनिक जीवन की घटनाओं से ली गई विषय वस्तुएं चित्रित हैं- जो हजारों वर्षों पहले के जीवन को दर्शाती हैं।
  • यहां दर्शाए गए चित्र-मुख्यत: नृत्य‚ संगीत‚ शिकार करने‚ घोड़ों और हाथियों की सवारी‚ शरीर पर आभूषणों को सजाने तथा शहद जमा करने के बारे में हैं।
  • शेर‚ सिंह‚ जंगली सुअर‚ हाथियों‚ कुत्तों और घड़ियालों जैसे जानवरों को भी इन तस्वीरों में चित्रित किया गया है।
  • इन आवासों की दीवारें धार्मिक संकेतों से सुसज्जित हैं‚ जो पूर्व ऐतिहासिक कलाकारों के बीच लोकप्रिय थे।
  • भीमबेटका में सबसे प्राचीन गुफा चित्र लगभग 12000 वर्ष पूर्व का माना जाता है।
  • निष्कर्ष
  • यह नवीन खोज वैज्ञानिकों को भू-विज्ञान और जीव-विज्ञान के मध्य पारस्परिक संबंधों को बेहतर और सुसंगत तरीके से समझने में मदद कर सकती है‚ जिसके कारण पृथ्वी पर जटिल जीवन के विकास की शुरुआत हुई।