ओडिशा रसगुल्ला को जीआई (GI) टैग



  • 29 जुलाई, 2019 को ''ओडिशा रसगुल्ला'' को 'वस्तुओं का भौगोलिक उपदर्शन (रजिस्ट्रीकरण तथा संरक्षण) अधिनियम, 1999' के तहत 'भौगोलिक उपदर्शन' (GI : Geographical Indication) टैग प्राप्त हुआ है।

  • रसगुल्ले पर विशेषाधिकार को लेकर ओडिशा और पश्चिम बंगाल में विवाद चल रहा था, नवंबर, 2017 में पश्चिम बंगाल रसगुल्ले के लिए 'जीआई टैग' प्राप्त कर चुका है।

  • विवाद

  • पश्चिम बंगाल का दावा था कि रसगुल्ले का आविष्कार 1845 ई. में नवीन चंद्रदास ने किया था, जो कोलकाता के बागबाजार में हलवाई की दुकान चलाते थे।

  • ओडिशा का दावा था कि रसगुल्ला भगवान जगन्नाथ के सदियों पुराने अनुष्ठानों का एक हिस्सा रहा है।

  • साक्ष्य

  • रसगुल्ला का संदर्भ 15वीं शताब्दी के अंत में बलराम दास द्वारा लिखित ओड़िया रामायण में मिलता है।

  • बलराम दास की रामायण को दांडी रामायण या जगमोहन रामायण के रूप में जाना जाता है।

  • एक अन्य धार्मिक विषय-वस्तु 'अयोध्या कांड' में रसगुल्ला सहित छेना और छेना आधारित उत्पादों का विस्तृत वर्णन मिलता है।

  • प्रसिद्ध ओड़िया लेखक फकीर मोहन सेनापति ने 27 अगस्त, 1892 को प्रकाशित अपने लेख 'उत्कल भ्रमणम' में उन दिनों के दौरान ओडिशा में रसगुल्ले के भरपूर उपयोग के बारे में उल्लेख किया है।

  • 14 दिसंबर, 1893 को कवि दामोदर पटनायक द्वारा लिखित कविता 'बाली जाना' (इंडोनेशिया के बाली द्वीप की यात्रा) इंद्रधनु नामक साप्ताहिक में प्रकाशित हुई, जिसमें रसगुल्ले और अन्य मिठाई की दुकानों का उल्लेख है।

  • निर्णय

  • वस्तुओं का भौगोलिक उपदर्शन (रजिस्ट्रीकरण तथा संरक्षण) अधिनियम, 1999 की धारा 16(1) के अधीन भौगोलिक उपदर्शन अथवा धारा 17(3) (ई) के अधीन 'ओडिशा रसगुल्ला को' पंजीकरण प्रदान किया गया।

  • जीआई संख्या 612 : (1) ओडिशा स्माल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (OSIC Ltd.) और (2) उत्कल मिष्टान्न व्यवसायी समिति के पक्ष में पंजीकृत किया गया है।

  • यह प्रमाण-पत्र 22 फरवरी, 2028 तक मान्य होगा।

  • जीआई टैग

  • जीआई टैग विशेष उत्पादों के लिए प्रयोग किया जाता है, जो एक विशिष्ट भौगोलिक स्थान, मूल या विधि से संबंधित है। जीआई टैग का पंजीकरण 10 वर्ष के लिए मान्य होता है।

  • भारत में पहला जीआई टैग वर्ष 2004-05 में दार्जिलिंग चाय के लिए प्रदान किया गया था। अब तक इस सूची में 359 उत्पाद पंजीकृत किए जा चुके हैं।

  • हाल ही में डिंडीगुल (Dindigul) ताला और कान्दांगी (Kandangi) साड़ी (तमिलनाडु) को जीआई टैग प्रदान किया गया।