चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा

 


  • वर्तमान संदर्भ
  • 28 दिसंबर‚ 2020 को चीन ने पाकिस्तान कॉरिडोर के ऋण भुगतान करने की क्षमता पर चिंता व्यक्त करने वाली रिपोर्ट को खारिज कर दिया।
  • साथ ही चीन द्वारा पाकिस्तान के चीन-पाक आर्थिक गलियारा (China Pakistan Economic Corridor : CPEC) की प्रगति का बचाव करते हुए CPEC के लिए ऋण देने से पहले इस्लामाबाद से अतिरिक्त गारंटी की मांग करने वाली रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के रास्ते कॉरिडोर के निर्माण पर शुरुआती लागत 46 बिलियन डॉलर था‚ जो अब बढ़कर 87 मिलियन डॉलर हो गया है।
  • पृष्ठभूमि
  • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा, 46 बिलियन डॉलर के बेल्ट और रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative : BRI) के तहत एक प्रमुख परियोजना है।
  • बेल्ट और रोड इनिशिएटिव को वर्ष 2013 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
  • BRI का प्रमुख उद्देश्य पूरे एशिया‚ अफ्रीका और यूरोप में कनेक्टिविटी और व्यापार को बढ़ावा देना है।
  • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा में चीन का तीन प्रमुख लक्ष्य क्रमश: आर्थिक विविधिकरण‚ राजनीतिक स्थिरता और एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था का विकास करना है।
  • लगभग 3218 किमी. लंबे CPEC में राजमार्ग‚ रेलवे और पाइपलाइन का निर्माण सम्मिलित है।
  • CPEC : पश्चिमी पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को चीन के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र शिनजियोक प्रांत से रेलवे और सड़क मार्गों के विस्तृत नेटवर्क के माध्यम से जोड़ना है।
  • यह प्रस्तावित परियोजना को भारी-सब्सिडी वाले ऋणों द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा।
  • CPEC और पाकिस्तान
  • पाकिस्तान में CPEC द्वारा 7 लाख से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियों के सृजन की संभावना है।
  • चीन और पाकिस्तान के बीच सहयोग बढ़ेगा‚ पाकिस्तान की भौतिक अवसंरचना उन्नत होगी‚ जिससे लॉजिस्टिक लागत कम होगी।
  • कुछ पाकिस्तानी समूहों ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि अंतत: बीजिंग भारत के साथ अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए CPEC का इस्तेमाल कर सकता है।
  • पाकिस्तान का ग्वादर पोर्ट बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है तथा बलूची इस परियोजना के खिलाफ हैं‚ उनका कहना है कि CPEC का लाभ उन तक नहीं पहुंचेगा।
  • बलूच नेशनल मूवमेंट के अनुसार‚ CPEC आर्थिक परियोजना नहीं है‚ बल्कि चीन‚ पाकिस्तान व बलूचिस्तान के तटीय क्षेत्र में सैन्य अवसंरचना का निर्माण कर रहे हैं।
  • CPEC पर भारत की चिंताएं
  • यह गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के विवादित क्षेत्र बलूचिस्तान से होकर गुजरेगा।
  • भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठानों के लिए चिंता का विषय है कि PoK में उपस्थित CPEC संपत्तियों को भारत के विरुद्ध सैन्य रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
  • CPEC के माध्यम से चीन हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ा सकता है‚ जो भारत के प्रभाव पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
  • ग्वादर बंदरगाह में चीन की उपस्थिति समुद्री मार्ग से भारत के पेट्रोलियम आपूर्ति को बाधित कर सकता है।
  • भारत के संप्रभुता संबंधित मुद्दे को नजरअंदाज किया गया है।
  • CPEC की प्रकृति स्पष्ट नहीं है‚ CPEC एक आर्थिक गलियारे के साथ-साथ सामरिक गलियारा भी हो सकता है।
  • निष्कर्ष
  • भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस क्षेत्र में भारत की भू-स्थिति उस तरह कमजोर न हो जैसे अतीत में तिब्बत और अक्साई चीन में हुआ था।
  • भारत को अपनी संप्रभुता में अवांछित प्रवेश संबंधी चिंताओं से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अवगत कराना चाहिए।
  • CPEC भारत के लिए संभावित लाभ हो सकता है‚ यदि बांग्लादेश चीन-भारत-म्यांमार (BCIM) गलियारा तथा CPEC संयुक्त रूप से भारत-चीन क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाएं।
  • भारत को इस स्थिति में CPEC में शामिल होना चाहिए जब पाकिस्तान‚ भारत को अफगानिस्तान तथा मध्य एशिया तक स्थल मार्ग से पहुंच प्रदान करे।